
वह निगाहों की चोरी तक को जानता है और उसे भी जो सीने छिपा रहे होते है। (सूरः अल-ग़ाफिरः 19)
एक आदमी कोई बुरा काम सबके सामने नहीं करता बल्कि लोगों की निगाहों से छुप कर करता है, इस लिए कि उसे अनुभव है कि अगर किसी ने देख लिया तो अपमान होगा। एक आदमी छुप कर भी धोखा न दे इसके लिए आज की दुनिया ने कार्यालयों और व्यापारिक स्थलों पर CC कैमरे लगा दिए। लेकिन आज से साढ़े चौदह सौ वर्ष पहले इस्लाम ने ऐसी शिक्षायें दीं कि निगरानी के लिए CC कैमरे की जरूरत नहीं होती, ख़ुद इंसान के दिल में हर समय पुलिस चौकी बैठी रहती है।
इस संबंध में इस्लाम सबसे पहले दिल की निगरानी पर ज़ोर देता है, और दिल की निगरानी चार तरीके से होती है। पहले नंबर पर इस्लाम दिल में यह एहसास बैठाता है कि जिस अल्लाह से तुम मामला करते हो वह तुम्हें देख रहा है, इस लिए कि उसकी एक विशेषता है “अल-बसीर” सब कुछ देखने वाली महिमा। तुम्हारी बातें सुन रहा है, इस लिए कि उसकी एक विशेषता है “अस्समीअ” सब कुछ सुनने वाली महिमा, तुम्हें जान रहा है, इस लिए कि उसकी एक विशेषता है “अल-अलीम” सब कुछ जानने वाली महिमा, तुम्हारी निगरानी कर रहा है, इस लिए कि उसकी एक विशेषता है “अर्रक़ीब” हर चीज़ की निगरानी करने वाली महिमा। दीवार की ओट में क्या है? इसे मनुष्य नहीं जानता लेकिन अल्लाह से कोई चीज ढ़की छुपी नहीं, उसकी नज़र हर छोटी बड़ी चीज़ पर है, एक आदमी बंद कमरे में बैठा यह सोचता है कि जो चाहो कर लो कोई देख नहीं रहा वहीं वह यह सुनता है:
يَعْلَمُ خَائِنَةَ الْأَعْيُنِ وَمَا تُخْفِي الصُّدُورُ – سورة الغافر: 19
वह निगाहों की चोरी तक को जानता है और उसे भी जो सीने छिपा रहे होते है। (सूरः अल-ग़ाफिरः 19)
इस्लाम के दूसरे ख़लीफ़ा उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु अन्हु का युग था, एक दिन वह प्रजा की हालत जानने के लिए रात में देहात से जुग़र रहे थे, एक घर से आवाज़ आई, एक माँ अपनी बेटी से कह रही थीः उठो और दूध में पानी मिला दो, बेटी कहती हैः अम्मी जान! ख़लीफ़ा ने तो दूध में पानी मिलाने से मना किया है। मां कहती है: अभी हमें ख़लीफ़ा देख नहीं ना रहा है। बेटी बोलती है: ठीक है अम्मी जान ख़लीफ़ा हमें नहीं देख रहे हैं लेकिन ऊपर वाला अल्लाह तो हमें देख रहा है।
जी हाँ! यही वह एहसास था कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के युग में माईज़ अस्लमी जिन्होंने बंद कमरे में व्यभिचार किया था, मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सेवा में दौड़े दौड़े आते हैं, अपना पाप स्वीकार करते हैं, सजा की मांग करते हैं, यहां तक कि उन्हें संगसार की सज़ा मिलती है। हालांकि वह जानते थे कि इस्लाम में व्यभिचार की सज़ा संगसार है और कोई उन्हें देखा भी नहीं था, उनके लिए बहुत आसान था कि एकांत में अल्लाह से पश्चाताप कर लेते कि अल्लाह बड़ा दयालु है फिर भी उनके दिल में अल्लाह की निगरानी का एहसास था कि स्वयं को सज़ा के लिए पेश कर दिया।
दूसरे नंबर पर इस्लाम एक मुसलमान के दिल में यह भावना बैठाता है कि फ़रिश्ते उसकी एक एक गतिविधि का रिकॉर्ड तैयार कर रहे हैं, हर इंसान के दाएं और बाएं कंधे पर दो फ़रिश्ते (स्वर्गदूत) हैं जिनका काम है इंसानों की एक एक हरकत को नोट करना, कल महा-प्रलय के दिन जब वह अल्लाह के पास आएगा तो उसके जीवन का सारा रजिस्टर उसके सामने रील के समान Play कर दिया जाएगा। कुरआन ने कहाः
مَّا يَلْفِظُ مِن قَوْلٍ إِلَّا لَدَيْهِ رَقِيبٌ عَتِيدٌ – سورة ق: 17
वह जो भी बोलता है उसे नोट करने के लिए फ़रिश्ते (स्वर्गदूत) उपस्थित होते हैं। मनुष्य जब यह सोचेगा कि जो कुछ बोल रहा हूँ या कर रहा हूँ यह लिखा जा रहा है और महा-प्रलय के दिन हमारे सामने सब कुछ खोल कर रख दिया जाएगा तो भला बताइये क्या ऐसा व्यक्ति कोई पॉप या अपराध करने का साहस कर सकता है? नहीं और बिल्कुल नहीं।
तीसरे नंबर पर इस्लाम एक व्यक्ति के दिल में यह भावना पैदा करता है कि महा-प्रलय के दिन उसकी यह ज़बान जिस से चिकनी चपड़ी बातें करता है, उस पर मुहर डाल दी जाएगी और उसके वे सारे अंग उसके खिलाफ गवाही देंगे जिन्हें लज़्ज़त पहुंचाने के लिए दुनिया में बुराई किया करता था। यह हाथ जिसे हराम काम में इस्तेमाल किया था, यह ज़बान जिस से हराम बात बोली थी, यह आंख जिससे हराम की ओर देखा था, यह पैर जिससे हराम की ओर चलकर गए थे। सबके सब आपके खिलाफ हो जाएंगे, इन अंगों को अपनी मिल्कियत न समझें। अल्लाह तआला ने फरमाया:
الْيَوْمَ نَخْتِمُ عَلَى أَفْوَاهِهِمْ وَتُكَلِّمُنَا أَيْدِيهِمْ وَتَشْهَدُ أَرْجُلُهُمْ بِمَا كَانُوا يَكْسِبُونَ – سورة يس: 65
आज के दिन हम उनके मुंह पर मुहर लगा देंगे तब उनके हाथ हमसे बात करेंगे, और उनके पैर बात करेंगे उन चीजों के बारे में जो वे किया करते थे।
उस दिन वह अपने अंगों को कूसेगा लेकिन फिर काहे को पछतावा जब चिड़िया चुग गई खेत।
चौथे नंबर पर यह पृथ्वी जहां पर उसने अपराध किया था कल महा-प्रलय के दिन उसके खिलाफ गवाही देगी कि ऐ अल्लाह! इस बन्दे ने फ़लाँ दिन फ़लाँ जगह पर ऐसा ऐसा किया था।
यह चार प्रकार की गवाहियाँ हैं जो अल्लाह ने इंसानों के लिए तय कर रखी हैं, जब यह भावना पैदा होती है एक व्यक्ति के अंदर तो मानो उसके दिल में एक पुलिस चौकी बैठ जाती है, जो हर समय निगरानी करती रहती है, अब सत्तर द्वार भी बंद हों और स्वयं को एकांत में समझ रहा हो फिर भी वह बुराई करने से डरता है।
बुराई पर कंट्रौल करने के लिए इस्लाम ने दिल को बदलने और इसमें अल्लाह निगरानी की भावना पैदा करने के साथ दूसरा तरीका यह अपनाया कि मुसलमानों को इबादत का ऐसा कोर्स दिया जिसे वह व्यवहारिक रूप देता है तो बुराइयों से बिल्कुल दूर रहता है। कुरआन ने नमाज़ के बारे में कहा कि यह मनुष्य को अश्लीलता और बुरी बातों से रोकती हैः
إِنَّ الصَّلَاةَ تَنْهَىٰ عَنِ الْفَحْشَاءِ وَالْمُنكَرِ – سورة العنكبوت: 45
“बेशक नमाज़ अभद्रता और बुराई से रोकती है।” (सूरः अल-अन्कबूतः45)
कुरआन ने ज़कात के बारे में कहा कि ज़कात देने से माल पवित्र होता, उसमें बढ़ोतड़ी आती और आत्मा का शुद्धिकरण होता है।
خُذْ مِنْ أَمْوَالِهِمْ صَدَقَةً تُطَهِّرُهُمْ وَتُزَكِّيهِم بِهَا – سورة التوبة: 103
“आप उनके मालों में दान लीजिए, जिसके द्वारा आप उन्हें पाक-साफ कर दें और उनके मन का शुद्धिकरण होगा”। (सूरः अत्तौबाः 103)
कुरआन ने रोज़ा के बारे में कहा कि इस से व्यक्ति के अंदर अल्लाह की निगरानी की भावना पैदा होती हैः
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا كُتِبَ عَلَيْكُمُ الصِّيَامُ كَمَا كُتِبَ عَلَى الَّذِينَ مِن قَبْلِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُونَ – سورة البقرة: 183
“ऐ ईमान लाने वालो! तुम पर रोज़े अनिवार्य किए गए, जिस प्रकार तुमसे पहले के लोगों पर किए गए थे, ताकि तुम डर रखने वाले बन जाओ। “(सूरः अल-बक़राः183)
कुरआन ने हज के बारे में कहा कि इस से मनुष्य के अंदर अच्छे आचरण पैदा होते हैं और बुरे आचरण से दूरी आती हैः
فَمَن فَرَضَ فِيهِنَّ الْحَجَّ فَلَا رَفَثَ وَلَا فُسُوقَ وَلَا جِدَالَ فِي الْحَجِّ – سورة الحج: 197
“इसलिए जो व्यक्ति इन में हज लाज़िम कर ले वह अपनी पत्नी से मेल मिलाप करने, पाप और लड़ाई-झगड़े से बचता रहे।” (सूरः अल-हजः 197)
यह तो अनिवार्य इबादतें हुईं, उनके अलावा भी इबादत के विभिन्न रूप हैं जिनको व्यवहारिक रूप देने से एक व्यक्ति में अल्लाह की निगरानी का अनुभव पैदा होता है और वह हर प्रकार की बुराई से स्वयं को बचा पाता है।