
मनुष्य के काम आएं, उनकी सेवा करें, निर्धनों की सहायता करें, अनाथों के आंसू पोंछें अजीब तरह की शांति मिलेगी।
मुक्ति और मोक्ष, आराम और शांति, आर्ट आफ लिविंग और व्यायाम यह वह कुछ टूल्स हैं जो आज हर ओर चर्चा का विषय बने हुए हैं, इसी नाम पर आज आध्यात्मिकता के प्यासे श्रद्धालु गुरुओं, पंडितों और धार्मिक लोगों के आस पास जमा हो रहे हैं, क्योंकि शान्ति प्रकृति की आवाज है, हर इंसान सुख चाहता है, हर इंसान की चाहत होती है शांतिपूर्ण जीवन, लेकिन यह जीवन कैसे प्राप्त हो, शांतिपूर्ण जीवन की कला क्या होनी चाहिए, सम्पत्ति सुख नहीं दे सकती, शांति पैसों से नहीं खरीदी जा सकती, यह कोई बाज़ारी सामान नहीं जिसे बेचा और खरीदा जाता हो कि धनी इसे खरीद लें और निर्धन इससे वंचित रह जाएं। बल्कि यह God’s Gift है। तो आइए! हम जानते हैं कि इस्लामी आर्ट आफ लिविंग में कैसे हम शांतिपूर्ण जीवन बिता सकते हैं।
इस संबंध में सबसे पहला काम यह है कि हमारे अंदर ऊपर वाले अल्लाह पर सही विश्वास आ जाए, उसी से हमारा सम्पर्क बन जाए, जिस मालिक ने इंसान को बताया है वही उसकी बुद्धि, उसके मन और उसके हृदय को शांत रखने के उपाए बता सकता है, सुख और शांति की चाबियाँ उसी के दरबार से मिल सकती हैं, इंसान ऊपर वाले से कटकर कितना भी शांतिपूर्ण जीवन बिताने का दावा करे वह बनावटी जीवन होगा, वास्तविक जीवन नहीं हो सकता, ऊपर वाले पर सही ईमान से खाली जीवन कुछ देर के लिए सुख तो पा सकता है लेकिन वास्तविक शांति से वंचित रहेगा। कुरआन ने कहाः
مَنْ عَمِلَ صَالِحًا مِّن ذَكَرٍ أَوْ أُنثَىٰ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَنُحْيِيَنَّهُ حَيَاةً طَيِّبَةً ۖ وَلَنَجْزِيَنَّهُمْ أَجْرَهُم بِأَحْسَنِ مَا كَانُوا يَعْمَلُونَ – سورة النحل: 97
“जिस किसी ने भी अच्छा कर्म किया, पुरुष हो या स्त्री, शर्त यह है कि वह ईमान पर हो, तो हम उसे अवश्य पवित्र जीवन-यापन कराएँगे। ऐसे लोग जो अच्छा कर्म करते रहे उसके बदले में हम उन्हें अवश्य उनका प्रतिदान प्रदान करेंगे।”
पता यह चला कि शांति ईमान में है, एक अल्लाह से सम्पर्क रखने में है, आपका क्या विचार है अगर पानी की मछली को सूखे पर लाकर रख दिया जाए तो मछली तड़प-तड़प कर मर जाएगी, दूध पीते बच्चे को मां की गोद से निकाल कर किसी जगह डाल दिया जाये तो बच्चा रोते रोते परेशान हो जाएगा। यही हाल इंसान का है, आज इंसान ने ऊपर वाले को छोड़ कर नीचे वालों को सब कुछ समझ लिया है जिसके कारण उसकी शांति भंग हो चुकी है, वह दर-दर की ठोकरें खाता है, टेंशन में जीता है। पानी का जहाज जिसका कोई कप्तान न हो उसका क्या हाल होता है? सागर की लहरों और हवा के थपेड़ों पर हिचकोले खाता है और अपनी मंजिल से भटक जाता है, लेकिन जिस जहाज़ का कप्तान होगा वह अपनी मंज़िल तक आसानी से पहुंच जाएगा। यही बात कुरआन ने हमें समझाई हैः
وَمَن يُشْرِكْ بِاللَّـهِ فَكَأَنَّمَا خَرَّ مِنَ السَّمَاءِ فَتَخْطَفُهُ الطَّيْرُ أَوْ تَهْوِي بِهِ الرِّيحُ فِي مَكَانٍ سَحِيقٍ – سورة الحج: 31
जो कोई अल्लाह के साथ साझी ठहराता है तो मानो वह आकाश से गिर पड़ा। फिर चाहे उसे पक्षी उचक ले जाएँ या वायु उसे किसी दूरवर्ती स्थान पर फेंक दे। (सूरः अल-हजः 31)
इसलिए यदि हम मन की शांति चाहते हैं तो अपने ऊपर वाले रब और प्रभु को पहचानें और उसी के सामने अपना माथा झुकायें।
मन की शांति के लिए दूसरा काम यह करना है कि जो मामला आपकी शक्ति से बाहर हो उसके संबंध में आप परेशान न हों, आपके साथ किसी प्रकार की घटना हुई, या कोई खतरनाक बीमारी हो गई, या आपकी पसंद के खिलाफ कोई मामला हो गया, आपने अपनी ओर से पूरी कोशिश की लेकिन नतीजा आप के खिलाफ गया तो अब आप परेशान न हों बल्कि यह समझें कि यह भाग्य का फैसला था जिसे कोई टाल नहीं सकता था, इसलिए टेंशन क्यों लेना, इसी में बेहतरी होगी। क्योंकि हमारे प्रभु ने हमारे हक़ में जो फैसला किया है वह तत्वदर्शिता से खाली नहीं हो सकता, यधपि अभी उसकी हिकमत समझ में न आ रही हो।
एक मुसलमान जब इस आस्था को अपने जीवन में उतारता है तो उसे अजीब तरह की शांति मिलती है। सही मुस्लिम की रिवायत के अनुसार मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्रवचनों में आता है:
عجبًا لأمرِ المؤمنِ . إن أمرَه كلَّه خيرٌ . وليس ذاك لأحدٍ إلا للمؤمنِ .إن أصابته سراءُ شكرَ . فكان خيرًا له . وإن أصابته ضراءُ صبر . فكان خيرًا له – صحيح مسلم: 2999
“मोमिन का मामला क्या ही बेहतर होता है, उसके हर मामले में उस के लिए बेहतरी होती है, उसे खुशी मिलती है तो वह अल्लाह का शुक्र अदा करता है और यह उसके लिए बेहतर होता है और अगर ग़म लाहिक़ होता है तो वह सब्र करता है और यह सब्र करना भी उसके लिए बेहतर होता है।” (सही मुस्लिमः 2999 )
मन की शांति के लिए तीसरा काम यह करना है कि अपनी सोच को सकारात्मक बनाएँ, नकारात्मक नहीं, कौन ऐसा व्यक्ति है जिसमें कमी नहीं पाई जाती, खुद अपने आप में झांक कर देखेंगे तो हजारों कमियाँ मिलेंगी, इसलिए ख़ूबियों पर नज़र रखें, ख़ामियों की अनदेखी करें, बल्कि बुरे मामले को भी अच्छी दृष्टि से देखें, अगर आप काम से वंचित हो गए हैं, तो यह सोचें कि बेहतर काम की खोज करने के लिए यह एक सुनहरना अवसर है। यदि आपके किसी मित्र ने आपसे विश्वास-घात किया है तो आप यह सोचें कि यह मौका है कि किसी अच्छे दोस्त का चयन कर सकें। ऐसे लोगों के जैसे बनें, जो आधे गिलास में पानी की जो जगह होती है उस पर नज़र रखते हैं, उन लोगों के जैसे मत बनें जो ग्लास के खाली भाग को देखते हैं, आशावादी बनें, निराश से बिल्कुल दूर रहें, विश्वास रखें कि हालात ज़रूर पलटेंगे, अभी जो स्थिति है भविष्य उस से बहुत बेहतर होगा।
मन की शांति के लिए चौथा काम यह करना है कि आप जितने के मालिक हैं उस पर अल्लाह का शुक्र बजा लायें और खुश रहें क्योंकि कितने ऐसे लोग भी हैं जो जीवन में इतनी चीज़ के भी मालिक नहीं, अपने से नीचे वालों को देखें अपने से ऊपर वालों को मत देखें। मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्रवचनों में आता हैः
انظروا إلى مَن أسفلَ منكم .ولا تنظروا إلى مَن هو فوقَكم . فهو أجدرُ أن لا تزدروا نعمةَ اللهِ -صحيح مسلم: 2963
“उन लोगों की ओर देखो जो तुम से नीचे हैं उन लोगों की ओर मत देखो जो तुम से ऊपर हैं, क्योंकि यह अधिक उपयुक्त है कि अल्लाह की नेमतों को तुच्छ ना समझो”। (सही मुस्लिमः 2963)
इसी के साथ मनुष्य के काम आएं, उनकी सेवा करें, निर्धनों की सहायता करें, अनाथों के आंसू पोंछें अजीब तरह की शांति मिलेगी।